टूट कर बिखरना तो आइनों की फितरत है मेरे यार,
बस तुम्हारी दुआओं की कशिश मुझे बिखरने नहीं देती।
कब तक ये टुकड़े इस सीने के सहेज कर रखूँ,
मौत सामने है पर जिंदगी मुझे मरने नहीं देती।
**** ****
इतना तो रहम कर मुझ पर ऐ दिलबर
तू मेरा यूं दिल दुखाना छोड़ दे।
और इतना भी नही होता तुझसे मेरे सनम,
तो एहसान कर और मुस्कुराना छोड़ दे।
विनोद दवे
नाम = विनोदकुमारदवे
परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत।
विनोद कुमार दवे
206
बड़ी ब्रह्मपुरी
मुकाम पोस्ट=भाटून्द
तहसील =बाली
जिला= पाली
राजस्थान
306707
मोबाइल=9166280718
ईमेल = [email protected]
संबंधित लेख
शब्द
मैं बहुत कृपण हूं मेरे पास देने को कुछ नहीं किसी को कुछ नहीं देता बस कुछ शब्द हैं जो मैं बांट देता हूं यशस्वी भव आयुष्मान भव आपका दिन मंगलमय हो ख़ुश रहो जब मैं यह देता हूं देखता हूं मैं और धनी हो गया
कौन मनाएगा होली
रथ पर चढ़ कर रहे साइकिल का प्रचार महत्वकांक्षी बहन जी हुई हाथी पर सवार साईकिल की कैरियर पर बैठे हैंडिल पकड़े है हाथ कल जो थे धुर विरोधी कहते जन्म जन्म का साथ देश के चौकीदार पूरी कोशिश में खिले जल्दी से जलज खूब हो रही रैलियाँ पर मामला दिखता नहीं इतना सहज लोकदल […]
मां
मां लक्ष्मी है दौलत है सच्चाई है आधार है रिस्तो की शक्ति है सम्बल है जीवन का विश्वास है एहसास है प्यार का दुलार का जिसे पाते ही हम भूल जाते है सब दुःख दर्द जिसके आगे खोल देते है हम अपने मन की परतें उसका स्नेहिल स्पर्श भर देती है हमारी झोली प्यार और […]