तुम कई बार
मेरे ख़्वाबो में
आया करते हों
तुम्हें देखकर
कई सपने
सजाती हूँ
जैसे कोई अपनो
को पास होने का
एहसास होता हैं
फिर मैं अपने
तन्हाई जीवन से
दूर हो जाती हूँ
सोचती हूँ तुमसे
कुछ बातें करूँ
मगर वह ख़्वाब
बनकर रह जाता है
क्योंकि तुम नींदों
में आया करते हो!
बिजया लक्ष्मी
संबंधित लेख
भारत में
भारत में पूर्ण सत्य कोई नहीं लिखता अगर कभी किसी ने लिख दिया तो कहीं भी उसका प्रकाशन नहीं दिखता यदि पूर्ण सत्य को प्रकाशित करने की हो गई किसी की हिम्मत तो लोगों से बर्दाश्त नहीं होता और फिर चुकानी पड़ती है लेखक को सच लिखने की कीमत भारतीयों को मिथ्या प्रशंसा अत्यंत है […]
“कुंडलिया”
पापी के दरबार में, वर्जित पूण्य प्रवेश काम क्रोध फूले फले, दगा दाग परिवेष दगा दाग परिवेष, नारकी इच्छाचारी भोग विलास कलेश, घात करे व्यविचारी कह गौतम चितलाय, दुष्ट है सर्वव्यापी कली छली मिलजांय, प्रतिष्ठा पाए पापी।। महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
नदी
नहीं है ख्वाहिश कि दरिया से जा मिलूं अभी कुछ और लोगों की प्यास बुझे कुछ और बहुँ मैं अभी फेंक दे मानव अपनी उत्कंठा और वेदना इस बहाव में रुको मत बस बढ़े चलो क्या रखा है ठहराव में विसर्जित कर दो सारी गंदगी मुझे नहीं है मलाल फेको अपने द्वेष विकार और बनो […]