…कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिये
कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिये, कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिये। शायर दुष्यंत कुमार
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Read Moreस्निग्ध समीर बिन आहट घर, आकर हौले-हौले मुस्काये। विकसित प्रसून के मधुकण से, घर का हर कोना महकाये।। रवि की
Read Moreहर दौर के सिक्के, सँभालकर रखता हूँ, हो इतिहास की पडताल, ख्याल रखता हूँ। बुजूर्गों ने बीते दौर का, इतिहास
Read Moreआप तो इश्क का मजा लीजिये जनाब! जां जाती है गर तो जाने दीजिये जनाब!! खौफ कैसा आपको और किस
Read Moreओ३म् दो पैर वाले शरीरधारी प्राणी को मनुष्य कहते हैं। ज्ञान व कर्म की दृष्टि से इसके मुख्य दो भेद
Read Moreओ३म् हम ऋषि दयानन्द के भक्त और अनुयायी अपने आप को आर्य कहते हैं जबकि हमारा जन्म एक पौराणिक परिवार
Read Moreद्वार दिल के, तुमने पहरे तो बिठाए अब अकेलापन तुम्हें ही, खा न जाए बाँट सकता ख़ुशबुएँ गुलशन तभी जब
Read Moreलखनऊ। महामना मालवीय मिशन, लखनऊ द्वारा गत वर्षों की भाँति 25 दिसम्बर को महामना मालवीय जी की 156वीं जयन्ती महामना
Read Moreविधान-, मात्रायें -13, 19, यति से पहले व बाद में 21या12 चरणान्त 22, चरणान्त शब्द – छाया मानव कर्म महान
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