“दीदी बच्चे घर पर नहीं हैं क्या?”
“वो टेस्ट हो रहे हैं। इसलिए पढ़ रहे थे।”
बहन के बुलाने पर बच्चे आए। दोनों की नजरें कुछ खोजती हुई विभा के पाँव के पास रखे बैग पर टिक गईं। विभा ने बैग से दो चॉकलेट्स निकाल कर उनकी तरफ बढ़ा दिए। ‘थैंक्यू’ कह कर दोनों अपने कमरे में चले गए।
बहन चाय बनाने चली गई। पहले जब वह आती थी तब एक सूटकेस तो केवल तोहफों से भरा होता था। तब वह अमीर घर की बहू थी। आज अपना वजूद तलाशती एक तलाकशुदा।