गर्म बहुत हालात किये कुर्सी के पहरेदार ने।
आरक्षण की खातिर मिलने वाले उस अधिकार ने।
कौन धनी है ऋण लेकर भी कौन यहाँ कंगाल है-
जात पात का अंतर हमक़ो समझाया सरकार ने।
अनहद गुंजन 08/09/18
गर्म बहुत हालात किये कुर्सी के पहरेदार ने।
आरक्षण की खातिर मिलने वाले उस अधिकार ने।
कौन धनी है ऋण लेकर भी कौन यहाँ कंगाल है-
जात पात का अंतर हमक़ो समझाया सरकार ने।
अनहद गुंजन 08/09/18
पॉज़ीटिव होना अच्छा बहुत है बड़ों ने यही रस्ता दिखाया है कभी-कभी नैगेटिव होना भी अच्छा होता है कोविड ने भलीभांति सिखाया है.
मुक्तक इतनी भी मजबूरी क्या कि मिल न सको एक संदेश ही काफी है हमारे जीने के लिए 2. जन्मदिवस की अनुपम बेला, लाई खुशियों का आगार, देखे जो सपन सलोने प्यारी, दुआ हमारी हों साकार.
(1) गाता है मन आज तो,शुभ-मंगल के गीत। दिवस बहुत यह भा रहा,बाँट रहा उर प्रीत। भारत के गणतंत्र की,सकल विश्व में शान, आओ,हम ‘जयहिंद’ कह,हों हर्षित मनमीत।। (2) भारत माँ का लाल हूँ,दे सकता मैं जान। गाता हूँ मन-प्राण से,मैं इसका यशगान। आर्यभूमि जगमग धरा,बाँट रही उजियार, इसकी गरिमा,शान पर,मैं हर पल क़ुर्बान।। (3) […]