प्रणय निवेदन भेज रही हूं,
कर लेना स्वीकार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर
कर लेना अधिकार प्रिये।
ढूंढ रहे हैं व्याकुल नैना
दर्श तुम्हारा मिल जाये।
पतझर सा मन में छाया है
तनमन बगिया खिल जाए।
छूले जो फिर रोम रोम में
भर जाए झनकार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर……
बांच अगर तुम लेते आकर
तृषित ह्रदय की मूक व्यथा।
नयनों के ये अश्रु बहकर
क्यूँकर लिखते विरह कथा।
भाव हृदय में कल्पित होते
तुम दिल के उदगार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर…….
जब तुम आओगे सावन में
पुरवा भी बौराएगी।
झमझम बूंदें नाच उठेंगी
प्रेम बदरिया छाएगी।
सपनों की नदियां का मिलना
हो जाए साकार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर……..
तुम ही मौन अधर का “गुंजन”
तुम ही तो उर स्पंदन हो।
तुम ही मेरे प्रथम प्रणय हो
तुम मेरा अभिनंदन हो।
अंतर्मन में तड़प उठी है
सूना है अभिसार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर…..
– अनहद गुंजन अग्रवाल