आदमी मुसाफिर है, आता है, जाता है ! आनंद बख्शी कहिन। ×××× आटा चक्की मिल तो ‘सोशल डिस्टिनसिंग’ के कारण तो जाना नहीं है….. गेहूँ के दर्रे तैयार करने में ‘माँ’ जुटी है, आज का खाना ‘घांटा’ होगी…. ….और बनेगी, तब न खाएंगे….. अबतक ‘उपवास’ में हूँ! परन्तु ‘घांटा’ स्थगित…. भूँजा का सत्तू…. अभी खाया […]
हरसिंगार की खुश्बू रातों को महकाती निगाहे ढूंढती फूलों को जो रात भर खुश्बू बाटते रहे बन दानकर्ता गिरे फूल बिछ जाते कालीन कही पावों में छाले ना पड़े मेरे मेहबूब के पावों में मौसम के घरों में कुछ समय रहेंगे दिन में बेघर होंगे मासूम हरसिंगार खुश्बू का उपहार लाए मोहब्बत करने वालों के लिए अनजान […]
जब आधा जीवन कट ही गया बाकी पल भी तुम बिन कट जाएँगे इंतजार के खेत आधे पाटे मैंने बाकी भी मेरे आंसुओं से पट जाएँगे आधे सपने पलकों से झड़ गए बाकी आधे भी आँखों से हट जाएँगे तुम्हारा होना ही दिल ने सदा सुनाया तुम्हारा न होना भी अब रट जाएँगे बहुत दर्द […]