जिन्दगी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी होती हैं, जो आपके अनुसार नहीं चलती। आप दिल से पूरे मन से चाहते हो, कोशिश करते हो की वो चीज़ ठीक वैसे ही हो जैसे आप चाहते हो। लेकिन शायद यही तो जिन्दगी है कि कुछ चीज़े बिल्कुल आपके खिलाफ और आपके इच्छा के विपरीत होती ही हैं। चाहे आप जो भी हो, चाहे आप जो भी कर लो। आप उस नाजुक पल में बस ठगा सा और हारा हुआ महसूस कर सकते हो।
आप अपने सूकून के लिए रोते हो चीखते हो, तन्हा हो जाते हो, किस्मत को कोसते हो, अपने आप को कोसते हो, डरते हो, दुनियां से दूर भागते हो, गुस्साते हो, घबराते हो, और उस पल को जाते हुए निर्मम आँखों से देखते रहते हो। कोई इसे संघर्ष कहता है, कोई किस्मत, तो कोई आपके कर्मों का फल।
पर वास्तविकता में वो चीज़ जो आपके मन के अनुसार न हो रही हो उसका मायने आपके लिए क्या है यह सिर्फ और सिर्फ आप जानते हो। वो पल या वो फैसला आपको कितना तोड़ता है और आप उस पल कितना टूटते हो इसका असली मापदंड सिर्फ आप कर सकते हो। लेकिन उस हालात से सीखना ,उस जख्म को भरना, उस पल में सम्भलना, टूटे हुए अपने आप को जोड़ना ये सारी चीज़ें सिर्फ आपकी काबिलियत पर निर्भर करता है। उस हालात का अनुभव आपको बिखेरता तो है, पर थोड़ा बहुत निखारता भी है। बस आपमें संयम, साहस और एक इन्सान जिन्दा रहे।
रोओ ,चिल्लाओ, टूटो, बिखरो लेकिन इसके साथ निखरो भी। मुश्किल होगा पर असंभव नहीं।
— प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”