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बेचती है तरकारी
सुबह-सुबह जाती है बारी बारी में खोजती है तरकारी निहुर -निहुर कर देखती है लता-पत्ता को हटाकर तोड़ने की करती है तैयारी बबुआ को बुलाकर छोटी -सी बाँस की सीढ़ी से तुड़वाती है तरकारी मेहनत से तरकारी उगाती है नीचे से आँचल फैलाती है एक-एक कर टोकरी में रखती है,बड़ी प्यार से इसे बेचकर, कुछ […]
विनती
हे ईश्वर है विनती तुम से करो संहार दूषित सोच का जिस से फैलता फन पाप और पीड़ा का ।। हे ईश्वर है विनती तुम से तारो दूषित पर्यावरण से स्वच्छ हो जल स्वच्छ हो हवा स्वच्छ हो वातावरण घर बाहर तो बने निर्मल मन।। हे ईश्वर है विनती तुम से मुक्त करो जन जन को पान बीड़ी सिगरेट गुटके से न फैंलेगे रोग न होंगे इनके […]
स्वरचित हाइकु
स्वर्ण पिंजरा पराधीन आभास कैद विहग मन परिंदा दूर सुदूर यात्रा पल में करे चौच में दाना लंबी सुदूर यात्रा पक्षी करते मौन परिंदे हरी दरख्त डाली घरौंदे बुने प्यार की भाषा मूक विहग खग मौन मुखर प्यासे परिंदे जल बिन तरसे सूखे तलैया मूक है पक्षी तिनके चुनकर सपने बोता गीत विहग करता कलरव […]