अपूर्ण हूं
अपूर्ण ही रहूंगा
नित सीख रहा हूं
सीखने की न कोई आयु
न कोई सीमा
हर सीख कुछ न कुछ
अच्छा बुरा अनुभव देती
मैं पूर्णता चाहता भी नहीं
पूर्णता ईश्वरता है
पूर्ण
पूर्ण विराम है
जिसके बाद कुछ नहीं
सिवाय साक्षी भाव से देखने के
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