ये कैसी लाचारी है
जो जीना चाहते हैं
वे भी लाचार हैं
क्योंकि उनकी भी
मजबूरियां हैं,
वे भी डरते हैं
डर डर कर जीते है।
अपने परिवार की खातिर
बहुत कुछ सहते,
परंतु बहुत बार उसी परिवार को
बड़ी मुसीबत ,गहरे जख्म दे
दुनियां छोड़ जाते।
गरीब की ये कैसी लाचारी है,
जिंदगी तो उनको भी प्यारी है पर
उससे अधिक उधारी है,
उनके लिए ये सबसे बड़ी बीमारी है
जिंदगी पर भारी है।
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