कविता

एक राह बनाएं

चलो गांव से शहर तक
एक दौड़ लगाएं।
जो जीत जाए, उसे
गांव में रहना नसीब हो जाए।
भौतिक सुख की लालसा में
गंवाया है बहुत कुछ।
बसे शहरों में जाकर,
छोड़ गांव में सब कुछ।
शहर लुभाता रहा
गांव उजड़ता रहा।
पोते पोती से मिलने को
दादा तरसता रहा।
ऐसी कोई राह बनाएं।
दादा शहर आ जाए,
पोता गांव देख जाए।
बैठक, चौबारे फिर से,
आबाद हो जाएं।
बंद घरों की घुटन से,
इंसान आज़ाद हो जाएं।
चलो गांवों से शहर तक…..
— अर्चना त्यागी
अर्चना त्यागी
वर्तमान पता- B-50, अरविंद नगर जोधपुर राजस्थान पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् साहित्यिक पुरस्कार प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे राजस्थान पत्रिका, दैनिक सीमा संदेश, अनुराधा प्रकाशन, दैनिक नवज्योति, दैनिक नवीन कदम, अहिंसा क्रांति, विजय दर्पण टाइम्स, शिखर विजय, फोर्थ पॉइंट, संडे रिपोर्टर, दिल्ली बुलेटिन, दक्षिण समाचार साप्ताहिक पत्र, माही संदेश पत्रिका, आयुषी मासिक ई पत्रिका, उत्कर्ष पाक्षिक पत्र, हिंदी पत्रिका, हिंदी कुंज, शब्द प्रवाह, दस्तक प्रभात, संगम सवेरा,गर्भनाल, साश्वत सृजन माही संदेश, द टेलीकास्ट, तरंगिनि आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं एवम् "हिन्दुस्तान टाइम्स" मीडिया के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। व्यवसाय - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।