बेटी विदा हो अपने घर गई राहत मिला। *** औपचारिकता बाढ़ की विभीषिका राहत कार्य। *** बेटी तो है न फिर क्यों करें शोक नाम चलेगा। *** दाह संस्कार बेटी करेगी तो भी मोक्ष मिलेगा। *** सेवानिवृत्त होकर घर आया अब राहत। *** भरोसा रखो खुद पर अपने राहत पाओ। *** कौन जानता कल तक […]
माँ की ममता धरोहर बना ले, खुश रहेगा। ********* कठिनाइयाँ जीवन का दर्शन, साथ रहेंगी। ********* जीवनपथ सच्चाई से चल, प्रसन्न रह। ******** आक्रोश तेरा विनाश का कारण, अभी संभल। *********** ✍सुधीर श्रीवास्तव
काये कक्कु बरस गये नोट बना हाइकु । नहले पे दहा बैंक अधिकारी जो सोने में फसा। कैसे कैसे हैं जैसे जैसे नगद वैसे वैसे है । जल जाता है समुद्र में आदमी जल पी कर । भाग्य की बातें समझ में आती है ऐकाग्रता में। सुर साधना ठोस द्रव […]