संबंधित लेख
छंद- हरिगीतिका
छाया हुआ अपनों में मिला ,भक्ति विभोर उत्सव छठी भुला दिखा हर मनवा खोज, ढूढे दिखा संचालिका सूरज दिखे चाहत सी बढ़ी ,जिनके बिना हम नित ढले । उनकी रश्मि पाने के लिए , सभी दिनकर के आराधिका।। अपनी लग्न में सारे मग्न , मनचाही किनारें भरे । मन ध्यान की पिपासा दिनकर, तलाश भरी मन साधिका ।। सुता युवती सजी […]
घन -घन गरजत-घनाक्षरी
घन -घन गरजत, कारे मेघ बरसत, जियरा में बहुतहि ,अगन लगावै है दम -दम दमकत, चंचल बिजुरिया जो, तडपत मनुआं को, बहुत डरावै है घटा घनघोर चढ़ी, बहुतहि शोर करी, प्रियतम तोरि सुधि, बार-बार आवै है कारी-कारी रतियों में, बरसत अँखियाँ से , मदनहुँ मोरि तन, बहुत जरावै है। डॉ रमा द्विवेदी
खुशियां होठो पर मुस्काएं…
खुशियां होठो पर मुस्काएं, मन अनंत उदगारित हो। हर अभिलाषा पूरित हो, और कर्म समय से कारित हो। धन वैभव की स्वर्ण कांति से, जीवन आलोकित हो और शोर्यगाथा का परचम इस जग को स्वीकारित हो॥ आदर और सम्मान मिले, मर्यादा रक्षा का प्रण हो हर पल सांस घडी जीवन भर, गौरवगाथा हर क्षण हो। […]