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शिव सरिस नृत्य करत रहत
शिव सरिस नृत्य करत रहत, निर्भय योगी; सद्-विप्र सहज जगत फुरत, पल पल भोगी ! भव प्रीति लखत नयन मेलि, मर्मर सुर फुर; प्राणन की बेलि प्रणति ढ़ालि, भाव वाण त्वर ! तारक कृपाण कर फुहारि, ताण्डव करवत; गल मुण्ड माल व्याघ्र खाल, नागमणि लसत ! ज्वाला के जाल सर्प राज, शहमत रहवत; गति त्रिशूलन […]
कविता : बुजुर्ग
आहिस् से आते कंपकंपाते हाथों को देखकर सोचा कि इक गीत लिखूँ झुर्रियों से सराबोर उसका शरीर देख,सूती धोती जनेऊ गले में बंधा रहा था उसको धीर इन टूटी तारों से कैसे मैं नया संगीत लिखूँ आहिस्ता से आते कंपकंपाते हाथों को देखकर सोचा कि इक गीत लिखूँ अटल, झुका हुआ मगर बिना हारे चुनौती […]
हिंदुस्तान लिखता हूँ…!
ना मुस्लिम ना हिंदु, इंसान लिखता हूँ, सदा कलम से अपनी हिंदुस्तान लिखता हूँ…! जात-पात क्या है, राग-द्वेष क्या है, दुनियादारी से उठकर ईमान लिखता हूँ, सदा कलम से अपनी हिंदुस्तान लिखता हूँ…! क्या दुश्मन-क्या घाती, देश की कैसी जाति, कलम तोड़कर मातृभौम की शान लिखता हूँ, सदा कलम से अपनी हिंदुस्तान लिखता हूँ…! ना […]