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संदेशपूर्ण कुंडलिया
भागा सुख को थामने,दिया न सुख ने साथ। कुछ भी तो पाया नहीं ,रिक्त रहा बस हाथ।। रिक्त रहा बस हाथ,काल ने नित भरमाया। सुख-लिप्सा में खोय,मनुज ने कुछ नहिं पाया।। जब अंतिम संदेश,तभी निद्रा से जागा। देखो अब है अंत,आज मैं सब तज भागा।। दुख बस मन का भाव है,भाव करे बेचैन। वरना सुख-दुख […]
त्रिभंगी छंद
घर से मत निकलो, सब जन प्रण लो, तालाबंदी सफल बने । थोड़ा गम खाओ, मत घबराओ, छँट जाएँगे मेह घने । अपने कर धोना, दूर करोना, निकट न आवे राय सही । बाहर मत जाना, कसम उठाना, ध्यान रहे जो बात कही ।। फैली बीमारी, दुनिया सारी, रात-दिवस अब जूझ रही । जो नहीं […]
कृपाण घनाक्षरी [अंत्यानुप्रास ]
कृपाण अंत्यानुप्रास , छ्न्द गेयता विकाश, यति गति हो प्रवाह, आठ चौगुना विवेक। वर्ण वर्ण घनाक्षरी, कवित्त चित्र चाल से, अंत गाल गुरु लघु, भाव भावना प्रत्येक। अनुप्रास पाँच पुत्र, छेक वृत्य श्रुत्य अंत्य, संग में लाटानुप्रास , छ्न्द अलंकार नेक। शृंगार अंत्यानुप्रास , चार चाँद दिख गया, दामिनी कड़क उठी, स्वर व्यंजना [व्यंजन] अनेक […]