क्षणिका

मेरी माँ

वे हैं रौनक मेरी
दुनिया को महकानेवाली
वे हैं जंगली कली मेरी
तू ही पूजा और सुकून मेरी
नाम से वे माँ हैं मेरी
— दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि
दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि
द्वितीय वर्ष की छात्रा, श्री पालि मंडप, कोलम्बो विश्वविद्यालय, श्री लंका