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प्रेम
प्रेम पूर्ण है प्रेम विश्वास है प्रेम रहस्य है प्रेम बेशर्त है प्रेम समर्पण है प्रेम आकर्षण है प्रेम विरह है प्रेम वेदना है प्रेम सरल है प्रेम जटील है प्रेम जीत है प्रेम हार है प्रेम बिन सब सुना है नही कोई अपना है ढाई अक्षर का प्रेम ही पराया को भी बना देता […]
।। मिले कम्बल दिसंबर में।।
कांपते तन को गर्माने, मिले कम्बल दिसंबर में। कोई पुण्य चाहे, कुछ नाम हित कम्बल दिसंबर में। चिपट एक दूसरे से जो बिताते पूस की ठंडी, बंटे उन हांथ में एक शाल सा कम्बल दिसंबर में।। बड़े उत्कृष्ट अभिनेता सा घूमें हर गली नेता, बड़ा सुंदर सा हितबंधू लगे सबको छली नेता। बड़े वादे बड़े […]
कविता : कैनवस…
एक कैनवस कोरा सा जिसपे भरे मैंने अरमानों के रंग पिरो दिए अपनी कामनाओं के बूटे रोप दिए अपनी ख्वाहिशों के पंख और चाहा कि जी लूँ अपनी सारी हसरतों को उस कैनवास में घुसकर आज वर्षों बाद वही कैनवस रंगों से भरा हुआ उमंगों से सजा हुआ चहक रहा था उसके रंगों में एक […]