चांद,
तुम घुमंतु साहित्यकार हो या नहीं
घुमंतु तो हो ही!
कहीं टिककर रहना तो
तुमने सीखा ही नहीं
वैसे घुमंतु होने का भी
अपना आनंद है
नए-नए मनोहारी स्थलों के
दर्शन भी करो
और ज्ञानवर्धन भी हो!
*लीला तिवानी
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
57, बैंक अपार्टमेंट्स,
प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4
द्वारका, नई दिल्ली
पिन कोड- 110078
मोबाइल- +91 98681 25244
संबंधित लेख
तीन सरकारी पद
तीन सरकारी पदों की घोषणा अवश्य हो… ‘सरकारी गरीब पद’ ‘सरकारी किसान पद’ ‘सरकारी भिखारी पद’। ×××× लो केरल में तीन राहुल एक तो अपना राजकुमार दूजे- राहुल, तीज़े- राहुल, ले लोटा… अब दबाओ बटन ! ×××× आशीष बाबू ! आई लव यू ‘देवर’ की इस बचकानी को नजरअंदाज कर देंगी, मेरी प्यारी भाभी जी […]
विरोध का शिलान्यास
हो चुका है तुम भी आओ बहती गंगा में स्नान कर लो सब गुप्त रहेगा सामूहिक त्यागपत्र की संख्या भी गुप्त है शंखनाद शेष है ।
मुस्कुराइए
मुस्कुराइए, कि मुस्कुराने से आपकी आवाज की खनक भी खनकती है, मुस्कुराइए, कि मुस्कुराने से बिना पायल के ही आपकी चाल की झनक भी झनकती है, मुस्कुराइए, कि मुस्कुराने से आपकी आंखों की चमक भी चमकती है, मुस्कुराइए, कि मुस्कुराने से सकारात्मक ऊर्जा की मिकदार बढ़ती है, मुस्कुराइए, कि मुस्कुराने से पास आते हुए कोरोना […]