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मुक्तक
1- कुर्सियों पर चढ़े लुटेरे हैं । हर तरफ अजगरों के घेरे हैं । शहर बिजली में चमकते होंगे, गाँव में अब तलक अंधेरे हैं । २- देखकर भाव सौतेला बालपन टूट के रोईं । विदाई के वक्त वह घरवालों से छूट के रोईं । मौत के बाद दस्तावेज बनवाते रहे लड़के, लड़कियाँ बाप की […]
मुक्तक
भारत के उपवन में जबतक मज़हब की फुलवारी है. माता का यह रूप नहीं है शोषित अबला नारी है. एक प्रश्न मैं फिर करता हूँ राजनीति के हेठों से. सारा सबकुछ बाँट दिया है अब किसकी तैय्यारी है. — मानस मिश्रा
मुक्तक
===तराना ज़मीं== ======================== लिखूं वंदना मां तराना ज़मीं का/ बने गीतिका माँ घराना ज़मीं का/ खिले फूल उपवन सजाता रहूं मै/ सजे गीत शारद जमाना ज़मीं का / ====================================== नीर============ ============================ नीर नहीं दिल प्यास जमीं है/ बूँद -बूँद हरि आस महीं है/ नीर क्षीर रस ढूढ़ रहा मन/ कन्त बिना मन पास नहीं है/ ==========क़लम===================== क़लम […]