मुक्तक/दोहा

दोहे – फिरा न मन का फेर

भजन करे सिमरन करे, फिरा न मन का फेर।
ध्यान  सदा  धन में  रहे, लिया   मोह  ने  घेर।
साधु  संत का रूप धर, मन   भीतर    शैतान।
छल  कपटी ढोंगी बना, ढूंढ     रहा   भगवान।
काम क्रोध  मद  लोभ में, सदा सुरा  का  पान।
नारी   नयनों  में   बसे, करे    ईश   का  ध्यान।
माया   ठगनी  छोड़   दे, करो   ईश   से   प्रीत।
मन  भीतर  संयम  रहे, चंचल  मन  को  जीत।
रूप  ईश  का  मान  के, करो  सभी  से  प्यार।
कर्म  करो  सुथरा  तभी,  हो  जीवन    उद्धार।
मेरी    मेरी   मत   करो , तज   मोह  अहंकार।
आया  खाली   हाथ तू, जाए   हाथ      पसार।
सुंदर   काया   दी   तुझे, ज्यों उपवन का फूल।
सिमरन प्रभु  का छोड़  के, गया  कर्म  तू भूल।
प्रेम  सदा  मन  में  रहे, अमृत   भरे   हों  बोल।
देख  सदा शुभ  नैन से , मन  के  ताले   खोल।
शिव धो ले  मन मैल को, सुन  सत्संग  विचार।
साध संग  नित कीजिए, छूट    जाएं    विकार।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995