राजनीति

बोरवेल के गड्ढे और बचपन

जब भी बोरवेल में फंसे बच्चे की किसी घटना का समाचार न्यूज़ चैनल पर आता है तो यह समाचार पूरे समाज को स्तब्ध कर देने वाला होता है, क्योंकि घर के आंगन में गलियों में खेलने वाला बचपन यदि जमीन के किसी गड्ढे में समाप्त हो जाता है तो इसके लिए हम ही जिम्मेदार है। बोरवेल वैसे तो किसान के लिए बहुत सहायक होते हैं क्योंकि कई सुदूर क्षेत्र जहां सिंचाई की उचित व्यवस्था नही है, जमीन की सिंचाई इन्हीं बोरवेल के माध्यम से होती है। परंतु बोर करने के बाद भी यदि पानी नहीं प्राप्त होता, तब ऐसे बोर के गड्ढों को किसान या मशीन चलाने वालों द्वारा खुला छोड़ दिया जाता है। यह खुले बोर के गड्ढे छोटे बच्चों के लिए यमदूत का काम करते हैं। अकेले मध्यप्रदेश में ही सैकड़ों ऐसी घटनाओं के उदाहरण हैं जिनमें बोरवेल के गड्ढे में फस कर या तो बच्चों की मृत्यु असमय हो गई या फिर उन्हें कुशलतापूर्वक निकालने के लिए प्रशासन को लाखों करोड़ों खर्च करने पड़े। अभी विगत दिनों ही विदिशा के लटेरी में लोकेश की इसी बोरवेल के गड्ढे में फसने से मृत्यु हो गई, जबकि पूरा जिला प्रशासन, NDRF की पूरी टीम उसे बचाने के लिए 24 घण्टे से अधिक लगातार जीतोड़ मेहनत करती रही, परन्तु बच्चे की दम घुटने के म्रत्यु हो गई थी। यदि थोड़ी सी समझदारी व सावधानी बरती जाए, तो इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सकता है। क्योंकि समाज व परिवार का भविष्य किसी बोरवेल के गड्ढे की भेंट नहीं चढ़ना चाहिए, यह एक ऐसा आघात है जो परिवार को वर्षों तक संताप से उबरने नहीं देता। इसलिए यह आवश्यक है की ग्राम, पंचायत, तहसील स्तर पर हर व्यक्ति संस्था द्वारा बोर करवाने पर उचित कानूनी कार्यवाही की जाए, उसकी अनुमति पंचायत या नगर प्रशासन द्वारा ही दी जाए, बिना अनुमति बोर करने पर मशीर व वाहन दोनों जप्त किए जाएं। प्रत्येक बोर की सूचना जानकारी प्रशासन को हो ताकि बोर करने के बाद उस गड्ढे को किसी भी स्थिति में खुला ना छोड़ा जाए और खुला पाया जाने पर किसान व बोर करने वाली मशीन के मालिक दोनों पर ही आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। बोरवेल करने से पूर्व ही उसे ढंकने के लिए विशेष बांड भरवाया जाना चाहिए, छोटी छोटी नासमझी किसी घर का दीपक बुझा सकती है। लगातार इस तरह के बोर करने व करवाने वालों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही होना चाहिए। तब जाकर ही बोरवेल में फस कर अपना जीवन समाप्त करने वाली बच्चों की असमय मृत्यु की इन घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश