कविता

आधुनिक इश्क

आधुनिक इश्क

यूं ही होता नहीं इश्क अब
बिक रही है मुहब्बत जमाने में
सोच समझ कर इश्क करने वाले
रोज बदलते रंग अजमाने में

एक साथ चल रही कई से
इश्क अब देखने दिखाने में
ज्यों-ज्यों लोग हुए आधुनिक
हया उधड़ती है शामियाने में

चुंबन आलिंगन अब होते पहले
विवाह पूर्व ही आनंद उठाने में
तू नहीं और सही, और नहीं गैर सही
खुल्लम खुल्ला इश्क फरमाने में

वाटसअप चैट से बढ़ता इश्क
फेश बुक पर फोटो चिपकाने में
सारे रिश्ते अब हाय हेल्लो होते
वक्त नहीं अब मिलने मिलाने में

मान मनुहार के गए दिन
वक्त जाया न करते समझाने में
रिश्ते तो ऐसे छूट टूट रहे
बात होती कचहरी थाने में

अगर मगर किंतु परंतु में अब
भटक रही है जिंदगी अनजाने में
जाना था कहीं, चले गए कहीं और
बरबाद हो रहे वक्त बीत जाने में

श्याम सुन्दर मोदी

शिक्षा - विज्ञान स्नातक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से प्रबंधक के पद से अवकाश प्राप्त, जन्म तिथि - 03•05•1957, जन्म स्थल - मसनोडीह (कोडरमा जिला, झारखंड) वर्तमान निवास - गृह संख्या 509, शकुंत विहार, सुरेश नगर, हजारीबाग (झारखंड), दूरभाष संपर्क - 7739128243, 9431798905 कई लेख एवं कविताएँ बैंक की आंतरिक पत्रिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित। अपने आसपास जो यथार्थ दिखा, उसे ही भाव रुप में लेखनी से उतारने की कोशिश किया। एक उपन्यास 'कलंकिनी' छपने हेतु तैयार