मुक्तक/दोहा

कौन सा पल आखिरी

सैनिक सरहद पर खड़े, देश के वह जवान|
हम बैठे अपने घरों, उन पर है अभिमान||

किसका होगा लाल वो, किसका वह सिंदूर|
किसका होगा वो पिता, चले  गये  सब  दूर||

कैसे गलती यह हुई, किसका है यह दोष|
कितनो की जाने गयी,लोगों में है रोष||

खाना   कैसे  अब  बने, राशन  लाए  कौन|
लालन पालन अब भला,सवाल पे सब मौन||

किसका पल हो आखिरी,ये सब उसके हाथ|
सबके दिल में प्यार हो,देना हरदम  साथ||

— सविता सिंह मीरा

*सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]