आज के बाद कोई भरोसा नही
नजर आखिरी आज उठ जाने दे
आज के बाद कोई भरोसा नही
जाम ये आखिरी अब उतर जाने दे
आज के बाद कोई भरोसा नही
बहक जाने दे आखिरी दौर में
ये नशा ही नही है किसी और में
जाम जानिब मेरे है बड़ी देर से
आज के बाद कोई भरोसा नही
आरजू मर चुकी जूस्तजू भी फना
यहां मल्ल मेरा जिन्दगी से ठना
ये मुझको मिले या मैं उसको मिलूं
आज के बाद कोई भरोसा नही
मुद्दतों बाद काली घटा छायी है
मूसलाधार अबकी नजर आयी है
तरबतर ‘‘राज’’ सारे हो जाने दे
आज के बाद कोई भरोसा नही
राजकुमार तिवारी ‘‘राज’’
बाराबंकी