गीत/नवगीत

परिवर्तन से भय कैसा

परिवर्तन से भय कैसा, करनी से फल मिलता वैसा।
सत्य कर्म सब दूर हुए हैं, भगवन भी मजबूर हुए हैं।
जैसा बीजा वैसा काटे, मिले वही है जो सो बांटे।
परिवर्तन से भय कैसा, जैसे को मिलता है तैसा।

वन उपवन हमने उजाड़ा, मौत का है बना आखाड़ा।
नदी नालों ने मुख हैं मोड़ा, मानव कहीं का नहीं छोड़ा।
कुदरत से खिलवाड़ करें है, पर्यावरण उजाड़ करें है।
परिवर्तन से भय कैसा, काम किया मानव नें ऐसा।

प्रदूषण हम ने‌ है बढ़ाया, संकट में जीवन है पाया।
बदल ग‌ई मौसम की माया, बिन मौसम कहर बरपाया।
पर्वत भी दरकने लगे हैं, जगह जगह सरकने लगे हैं।
परिवर्तन से भय कैसा, यह होता है प्रलय जैसा।

मेघ तांडव नाच है खेले, मानव घोर मुसीबत झेले।
मानव अब दानव बना है, अनैतिकता में हाथ सना है।
पग पग मिलते बलात्कारी,‌‌ज़िंदगी इन से अबला हारी।
परिवर्तन‌ से भय कैसा, ईमान‌ से बढ़ा अब पैसा।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995