लोकतंत्रमें शक्ति जनता के हाथ में होती है
आजकल का राजनीतिक माहौल बहुत जटिल और चुनौतीपूर्ण है। राजनीति में व्यक्तिगत हितों और दलगत राजनीति का बोलबाला है, जिससे लोकतंत्र प्रभावित हो रहा है।
जनता असहाय महसूस कर रही है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी आवाज सुनी नहीं जा रही है। राजनेता अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं और जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं। बस उन्हें मात्र अपनी कुर्सी ही नज़र आती है।
लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और उनकी आवाज का महत्व है, लेकिन आजकल के राजनीतिक माहौल में यह कम होता जा रहा है। जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने और राजनीति में सुधार लाने की जरूरत है। हालांकि ये नामुमकिन नहीं है।
इसके लिए हमें एक दूसरे से जुड़ना होगा, अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा और राजनीति में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना होगा। तभी हम एक मजबूत और जनकेंद्रित लोकतंत्र का निर्माण कर सकते हैं।
आपस में जुड़कर और एक साथ आकर ही हम इस समस्या से लड़ सकते हैं और लोकतंत्र को बचा सकते हैं। जब नेता चुनाव जीतते हैं, तो उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह होने चाहिए, लेकिन अक्सर वे अपने हितों को जनता के हितों से ऊपर रखते हैं और जनता को कंगाल कर देते हैं।अपने वोट की कीमत को समझना चाहिए।
इसके लिए हमें जागरूक रहना होगा और अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा। हमें नेताओं से सवाल पूछने होंगे और उन्हें जवाबदेह ठहराना होगा। हमें एक दूसरे के साथ मिलकर मजबूती से खड़े होना होगा,और लोकतंत्र को बचाने के लिए काम करना होगा।
जैसा कि कहा जाता है, “लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है, लेकिन जब जनता सो जाती है, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है।” इसलिए, हमें जागरूक रहना होगा और अपने अधिकारों के लिए लड़ना ही होगा।
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें शक्ति जनता के हाथ में होती है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें निर्णय लेने की शक्ति जनता के प्रतिनिधियों के हाथ में होती है, जो जनता द्वारा चुने जाते हैं।
लोकतंत्र के मुख्य तत्व हैं।
- जनता की भागीदारी: जनता को अपने प्रतिनिधियों को चुनने और निर्णय लेने में भाग लेने का अधिकार होता है।
- समानता: सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलते हैं।
- स्वतंत्रता: नागरिकों को अपने विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है।
- न्याय: न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष होती है।
- जवाबदेही: नेता और अधिकारी जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं।
लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और समानता को महत्व दिया जाता है, और यह एक ऐसी व्यवस्था है जो नागरिकों के हितों को ध्यान में रखती है, वर्तमान परिवेश में लोकतंत्र भ्रष्टाचार के कारण प्रभावित होता नजर आता है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र के मूल्यों और सिद्धांतों को कमजोर करता है, और जनता के विश्वास को तोड़ रहा है।
भ्रष्टाचार के कारण लोकतंत्र में कई समस्याएं आती हैं:
चुनावों में धन का प्रभाव,धन के कारण चुनावों में गलत उम्मीदवार जीत जाते हैं। नेताओं की जवाबदेही में कमी बराबर देखी जा सकती है,नेता जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रहते हैं।
भ्रष्टाचार के कारण जनता के हितों की अनदेखी होती है। संस्थाएं कमजोर होती हैं और भ्रष्टाचार को रोकने में असफल रहती हैं। जनता में अविश्वास बढ़ता है और लोकतंत्र के प्रति नकारात्मकता आती है। इसलिए, भ्रष्टाचार को रोकने और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए हमें सावधान रहना होगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना भी होगा। भ्रष्टाचार से लड़ना आम आदमी के लिए मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे आम आदमी भ्रष्टाचार से लड़ सकता है।सबसे पहले आम आदमी को भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक होना चाहिए और इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
आम आदमी को एकजुटता के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए और सामूहिक रूप से आवाज उठानी चाहिए।
आम आदमी को सूचना का अधिकार का उपयोग करके भ्रष्टाचार के मामलों का पता लगाना चाहिए और अधिकारियों से जवाब मांगना चाहिए। सोशल मीडिया का उपयोग करके आम आदमी भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर कर सकता है और जनमत बना सकता है। अगर आवश्यक हो, तो आम आदमी को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और अदालतों में मामला दर्ज कराना चाहिए। ये काम अकेले व्यक्ति का नहीं सबको एक साथ मिलकर करना होगा। आम आदमी को भ्रष्टाचार विरोधी संगठनों का समर्थन लेना चाहिए और उनके साथ मिलकर लड़ना चाहिए। उन्हें भी ताकत मिलेगी। आम आदमी को शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाने चाहिए ताकि लोगों को भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक किया जा सके।
इन तरीकों से आम आदमी भ्रष्टाचार से लड़ सकता है और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा लोकतंत्र को मज़बूत बना सकता है। वोट देने के बाद आपके हाथों कुछ नहीं रह जाता।
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह