कविता – श्रद्धा
सम्मान है तो दुनिया,
हमेशा देती आभार है।
इसके बिना जीवन में,
मूल्यों का अर्थ नही है,
यही जिंदगी की दरकार है।
नम्रता और सुचिता से,
इसके क़दम बढ़ती है।
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
सबसे पहले रहती है।
यही जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई है,
इसके बिना बस,
हरक्षण तकलीफों का मंजर दिखता है,
होती जग हंसाई है।
ज्ञान दर्पण से सुशोभित है,
यही श्रद्धा की परिकल्पना यहां।
इसके बिना जीवन में,
हर जगह दिखता है,
बस तक़दीर का सुना सुना।
हमें बेहतर विकल्प बनाने में,
इस उम्दा आगाज़ की
सबसे बड़ी जरूरत है।
इसकी सोहबत में रहना चाहिए,
यही जिंदगी की आगाज़ है,
कह सकते इबादत है।
अपने बड़प्पन का,
यही प्रमाण है।
नज़र अन्दाज़ करना ठीक नहीं है,
यही आन-बान और शान है।
श्रद्धा की शीतलता से,
खुशियां बेशूमार मिलता है।
सबको सही और सटीक,
यथार्थ ही दिखता है।
— डॉ. अशोक, पटना