तस्वीर

ज़िंदगी के संदूक से
निकली एक तस्वीर
कभी इसे
कभी खुद को देखती हूँ मैं
वक़्त के साथ चलते चलते
मैं कहाँ से कहाँ पहुँच गई
यादों के संदूक की तस्वीर
याद दिला गई
एक सफ़र का
वो सफ़र जो मेरा था
वो सफ़र जो मेरा है
वो सफ़र जो सदा चलेगा साथ मेरे !
उसमें जुड़ी हैं
उसमें जुड़ती रहेंगी
बहुत सी और
ऐसी तस्वीरें
— रमा शर्मा