हे महागौरी माता
हे महागौरी माता, चार भुजा धारिणी माँ,
वृषभ की सवारी करती, अभय मुद्रा धारिणी,
दाहिने भुजा त्रिशूल, बाएँ मे डमरू,वर धारिणी,
तेरी महिमा है अपरम्पार, तू सबको देती आशीर्वाद ।
श्वेतांबर धारण करतीं, गौर वर्ण से प्रसिद्ध है तू,
भगवान शिव की तू अर्धांगिनी से जानी जाती माँ तू,
धवल चाँदनी की छाया में, माँ तुम्हारा स्थान है अनमोल,
शांति, सौम्यता का प्रतीक, तू करती है सबका कल्याण ।
माँ तेरे मस्तक पर सजा है, चंद्रमा की तेज आभा,
दुष्टों का नाश करती, देती भक्तों को जीवन की राह,
कमल पर बैठी है तू, सौम्य और नीरस तेरा है शैली,
भक्तों के दिल में बसी, तेरा अद्भुत अलौकिक चमत्कार ।
शक्ति और भक्ति का संगम तू है साक्षात स्वरूप माँ,
हर दुख-दर्द को मिटाती तू है, सच्ची आस्था का धूप माँ,
तेरे चरणों की धूल से माँ, मिलता मन मस्तिष्क को सुकून,
माँ महागौरी तेरे तपस्या से, संसार को मिलता है स्वरूप ।
जो तेरा स्मरण करता है हमेशा वो संकट से होता हैं मुक्त,
तेरे द्वार पर जो आता है, उनका होता है सुख समृद्धि माँ ,
हर मौसम में तू सजे, हर दिल में तू बसे माँ हे अन्नपूर्णा,
तेरा नाम अनेक तेरी महिमा का गुणगान सदियों से चले।
हे माँ महागौरी, अन्नपूर्णा, आदिशक्ति, सिद्धिदात्री नाम तेरे,
तू पालनकर्ता, कल्याणकारी तू सर्वमनोकामना पूर्णकर्ता माँ ।
— रूपेश कुमार