महिला सशक्तिकरण- राजनीति में महिलाओं की भागीदारी
भारत वैश्विक रूप से अकेला ऐसा देश है जिसमें नारी सम्मान को आध्यात्मिक, नैतिक, सामाजिक,शासकीय प्रशासकीय स्तर पर अति महत्व दिया जाता है।यहां नारी को नारायणी,मां दुर्गे, मां काली, मां जगदंबे स्तर पर पौराणिक कथाओं में सम्मान प्राप्त है ऐसा है हमारा भारत देश, साथियों हालांकि हमारे देश में नारियों को अनेक विशेषाधिकार प्राप्त है, परंतु फिर भी हम देखते हैं कि नारी अत्याचार, प्रताड़ना, जुल्मों का वजन घटने की अपेक्षा समय -समय पर बढ़ने का आभास महसूस होता है। इसलिए मेरा मानना है कि इसका एक सटीक उपाय है, राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना।
साथियों बात अगर हम वर्तमान समय की करें तो आने वाले नए साल में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है जो कि एक सटीक समय है जिसमें महिला सशक्तिकरण का मंत्र अपनाया जा सकता है। यूं तो करीब-करीब हर क्षेत्रमें महिलाओं को सशक्तिकरण का कार्य शुरू भी है परंतु विशेष ज़रूरत है महिलाओं को राजनीतिक रुप से सशक्तिकरण, पावरफुल बनाने की ताकि उनके सानिध्य में कुशल नेतृत्व को देश को करुणा, दया, और आशा जैसे महिला के विशेष गुणों का अतिरिक्त सकारात्मक लाभ प्राप्त हो।साथियों बात अगर हम भारत में महिलाओं को बड़े संवैधानिक पद देने की करें तो भारत ही एक ऐसा देश है जहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्रियों से लेकर गांव की पंचायत अध्यक्ष तक का पद महिला को प्राप्त हो चुका है। परंतु अब बात महिला भागीदारी बढ़ाने की हो रही है जो हर शासकीय, प्रशासकीय विभाग में और राजनीतिक क्षेत्र में भी पुरुषों के बराबर स्तर पर भागीदारी हो।
साथियों बात अगर हम पूर्व में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम शी इज ए चेंज मेकर की करें तो, पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार, जमीनी स्तर की महिला राजनीतिक नेताओं के नेतृत्व कौशल में सुधार करने के लिए, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ग्राम पंचायतों से लेकर संसद सदस्यों और राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों औ रराजनीतिक कार्यकर्ताओं सहित सभी स्तरों पर महिला प्रतिनिधियों के लिए एक अखिल भारतीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम ‘शी इज ए चेंजमेकर’ (वह एक नव प्रवर्तक) शुरू किया। क्षमता निर्माण कार्यक्रम क्षेत्रवार प्रशिक्षण संस्थानों के सहयोग से किया गया, जिसका उद्देश्य महिला राजनीतिक नेताओं की क्षमता निर्माण करना और उनके निर्णय लेने और संवाद संबंधी कौशल, जिसमें भाषण, लेखन आदि शामिल हैं, में सुधार करना है। नगर निगम में महिलाओं के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में, कहा गया कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना समय की आवश्यकता है और आयोग उन्हें संसद पहुंचाने की यात्रा में उनकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि इस कार्यक्रम से हर उस महिला को फायदा होगा जो राजनीति में अपनी पहचान बनाना चाहती है और उसे राजनीति में अपना सही स्थान दिलाने में मदद करेगी। ‘शी इज ए चेंजमेकर’ परियोजना उन महिलाओं के जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक होगी जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए दृढ़ हैं।
साथियों बात अगर हम एक राजनीतिक पार्टी द्वारा ज़ारी महिला घोषणा पत्र शक्ति विधान की करें तो जिस तरह इसमें सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्तिकरण करने के करीब करीब सभी गुण शामिल किए गए हैं ऐसा हर राजनीतिक दल को करने पर विचार मंथन करने का सटीक समय आ गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा टीवी पर घोषणापत्र के लाइवटेलीकास्ट के अनुसार निम्नलिखित वादे किए गए थे जिसमें 15 घोषणाएंथी :– नई सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 40 फीसदी आरक्षण।- आशा बहुओं और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को न्यूनतम 10 हजार रुपए वेतन।- पुलिस विभाग में 25 प्रतिशत महिलाओं को नौकरी, हर थाने में महिला सिपाही की तैनाती।- सुरक्षा के विशेष अधिकार प्राप्त छह सदस्यीय आयोग का होगा गठन।- प्रदेश के 25 शहरों में अत्याधुनिक छात्रावास बनाए जाएंगे।- बीमारी के लिए 10 लाख रुपए तक की इलाज की व्यवस्था।-राज्यभर में वीरांगनाओं के नाम पर 75 दक्षता विद्यालय।- 12वींपास छात्राओं को स्मार्टफोन व ग्रेजुएट छात्राओं को स्कूटी।- पुलिस थानों में 25 प्रतिशत इंचार्ज सुनिश्चित किये जाएंगे- गांवों में महिला चौपाल का निर्माण।- परिवार में पैदा होने वाली बेटी के लिए एफडी व सांविधिक जमा।- महिलाओं को सरकारी बसों में फ्री यात्रा की अनुमति।- मनरेगा में महिलाओं को प्राथमिकता देंगे।- हर जिले में मिलेगी तीन सदस्यीय मुफ्त कानूनी सहायता, सलाह के लिए कमेटी।- प्रदेश में नए प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएंगे, साथ ही सभी सीएचसी में महिलाओं के लिए अलग केंद्र खोले जाएंगे।- 50 प्रतिशत महिलाओं को रोज़गार देने वाले उद्यम को कर में छूट मिलेगी। अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महिला सशक्तिकरण करने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से करुणा, दया और आशा जैसे गुणों को नेतृत्व में बल मिलेगा तथा महिला सशक्तिकरण को गति देने हर राजनीतिक दल को महिला घोषणा पत्र जारी करने का सटीक समय आ गया है।
— किशन सनमुखदास भावनानी