धरती का हो रहा बारूदी श्रृंगार
आज ऐसा लग रहा है मानों पूरी धरती का श्रृंगार बारूदी अलंकारों से किया जा रहा है दुनियां के हर कोने से बारूद की खुशबू आ रही है वर्तमान समय में हर देश बारूदी फुलझड़ी छोड़ने के लिये आतुर दिखाई दे रहा है और अपनी शक्ति एवं तानाशाही के बलबूते पर जो सब कुछ तबाह करने को लेकर इतरा रहे हैं वहीं आम जनमानस नाकाशाकी और हिरोशिमा के मंजर याद करके भयभीत भी हो रहा है। 24 फरवरी 2022 को रूस और युक्रेन में छिडा जंग अभी समाप्त नहीं हुआ था कि 07 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीन के एक संगठन ने इस्रराइल के यहूदी समुदाय पर हमला कर दिया इस हमले में लगभग 1200 लोगों की मौत हुयी। इस घटना से इस्रराईल अत्याधिक आक्रमक हो गया और आतंकवादी समूह हमास के लोगों को नेस्तनाबूत करने के लिये गाजा पट्टी पर अंधाधुन्ध हमले करना शुरू कर दिया जिसके कारण गाजापट्टी के लोग पूरी तरह से तबाह हो गये, वहीं हमास के लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाला देश इरान भी इस्रराईल की नजरों में चढ़ गया जिसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि आज भी शोरगुल तथा चीखपुकार की आवाजें थमने का नाम नही ले रही हैं।
वर्तमान समय में एक दूसरे देश से बढ़ रही तनातनी को देख कर लगता है कि तृतीय विश्वयुद्ध आरम्भ हो चुका है और यह युद्ध अब हर तरफ से प्रारम्भ भी दिखायी दे रहा है हर देश की शक्ति अपने केन्द्र से सर उठा कर उधर उधर झांक कर टोह लगा रही है सभी के दिलों में किसी न किसी बात को लेकर शोले दहकते नजर आ रहे हैं चाहे वह धार्मिक उन्माद के हों या फिर राजनीतिक अवसाद हों इन दिनों पूरे विश्व में फैले माहौल को दो नजरिये से देखा जा रहा है पहला धार्मिक, दूसरा राजनीतिक, जिस देश में भी बारूदी पटाखे फोड़े जा रहें हैं उन देशों में इन दोनों का अहं योगदान है इसी को लेकर एक दूसरे का सहयोग मांग रहे हैं और सामरिक समझौता करके संगठन बना रहे हैं एक दूसरे का साथ देने के लिये कसमें खा रहे है वहीं एक दूसरे को चित करने के लिये सियासी दावं पैतरे आजमाये जा रहे हैं। आज का संग्राम जो शशैव अवस्था में नजर आ रहा है और इसका विकास जिस प्रकार हो रहा है उससे अभासी समीकरणों से यह प्रतीत हो रहा है कि 2027 के बाद यह संग्राम किशोरा अवस्था में पहुंच जायेगा और देश के ताने बाने में जो भूचाल आयेगा कि बारी बारी से सभी की बखिया उधडी नजर आयेगी।
पूरे विश्व में ज्योति से ज्योति से जलाने की प्राचीन परम्परा चलती चली आ रही है जब गाजा पट्टी पर धमाका होता है तो दर्द ईरान को भी होता है जब यूक्रेन पर आसमान से आफत बरसती है तो परेशानी अमेंरिका को भी होती है जब उत्तरी कोरिया के तानाशाह का मानसिक संतुलन बिगडता है तो अमेरिका भी तनाव ग्रस्त हो जाता है जब पाकिस्तान पर कोई विपति आती है तो चीन और बांग्लादेश के सीने से दर्द छलकाने लगता है। इसी प्रकार सब एक दूसरे से प्रेम के धागे में बंधे हैं। अब सम्पूर्ण विश्व के आसमान पर कहीं न कहीं से परमाणु हमले के बादल बनते नजर आ रहे हैं जिस दिन बारूदी मानसून पूरे शबाब पर आ जायेगा उस दिन से फिर कहीं न कहीं आसमान से लिटिल ब्वाय गिरने प्रारम्भ हो जायेंगे। जापान के नागरिक आज भी 6 अगस्त 1945 सुबह भूल नही पा रहे हैं परमाणु हमले के बाद नाकाशाकी हिरोशिमा में कोई किसी की चीखपुकार सुनने वाला नही था सभी के पास अपने अपने हिस्से का दर्द था घटना के बाद जो जीवित रहे वह लोग अपाहिजों की तरह कुछ दिन सांस लेकर हमेंशा महेंशा के लिये दुनियां से अल्विदा हो गये जहां एक ओर नाकाशाकी हिरोशिमाह हमले से पूरी तरह से नूेस्तनाबूत हो चुका था वहीं दूसरी ओर वहां की प्रकृति भी बुरी तरह से घायल हो चुकी थी जमीन फसल पैदा करने से मना कर चुकी थी वायुमण्डल से भी प्राणदायिन हवा गुम हो चुकी थी कुछ वर्षों के बाद सब कुछ सामान्य हुआ तो वहां पर जन्म लेने वाले बच्चे बेडौल पैदा होना शुरू हो गये यह सब सिर्फ इस लिये हुआ कि जापान अमेरिका के समक्ष आत्मसमर्पण करने लिये तैयार नही था।
वर्तमान समय में भी एक दूसरे देश में उलटफेर करने की साजिस रची जा रहा है, आगजनी, तोड फोड करके भय पैदा किया जा रहा है सामाजिक सौहार्द और शान्ती को भंग किया जा रहा है, पिछले कुछ वर्षों में सत्ता की उठापटक को लेकर अफगानिस्तान, श्रीलंका, पकिस्तान, बांग्लादेश में छिडे संग्राम को देख कर लगता है कि यह सब पूर्व से ही सुनियोजित था सिर्फ मुद्दा कोई वर्तमान का होता सिर्फ चंद लोगों की मंसा के कारण बिद्रोह की ज्वाला भड़कायी जाती है दहशत पूरे देश में होती है।
राजकुमार तिवारी ‘‘राज’’
बाराबंकी