कविता

इंटरनेट

आरोपी मोबाइल हाजिर हो

हाजिर हो

आया जनाब आया कहता

हड़बड़ाता मोबाइल हाजिर हुआ

बोला क्या है मुझ पर आरोप

किसने लगाया  आरोप

हक्कारा

जो भी कहना है जाकर कहना अंदर

न्यायालय में जज साहिब के सामने 

जज साहिब मोबाइल से 

तुम पर  है आरोप

तुम्हारे कारण 

अलमारी में बंद पड़ी किताबों ने

 कर ली आत्महत्या

क्या कहना है तुमको 

अब अपनी सफाई में

बोला मोबाइल

नही हैं इसमें मेरा कोई दोष

दोष यह है सारा इंटरनेट का

सजा सुनानी है जज साहिब

तो उसको सुनाओ

मेरा तो इस्तेमाल किया गया

मैं तो हूं निर्दोष

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020