कविता

कलम

मेरी कलम निरंतर चलती नए पैगाम देती है
कभी रुकी नहीं कभी डरी नहीं है
बेखौफ होकर सच्चाई लिखती है
समाज के रूढ़िवादी परम्परा का विरोध करती है

अज्ञान मिटाकर ज्ञान का दीप जलाती है
मन में लाती नित्य रोज विचार है
समाज का आईना और हृदय परिवर्तन करती है
कलम अपनी ताकत से क्रांति लाती है

समाज में अलख जगाती नए आयाम रचती है
लेखनी ज्वलंत विचारों से जागरूकता लाती है
सच को सच झूठ को झूठ बतलाती है
समाज,देश को देती नई दिशा ऊर्जा भरती है.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश