रेत का केक
अर्द्ध छुट्टी के समय बच्चे
विद्यालय के खेल मैदान में खेल रहे थे,
होली की खुशियां मन में रख
एक दूसरे पर धूल उड़ेल रहे थे,
सभी बच्चों ने एक दूजे को निमंत्रण भिजवाया,
जन्मदिन मनाने के लिए रेत का केक बनाया,
बालू पर उकेर तोरण बांध रहे थे,
बालमन नहीं कोई सीमा लांघ रहे थे,
एक स्वर में सब कोई
हैप्पी बर्थडे टू यू गा रहे थे,
रेत का केक काटे जा रहे थे,
केक का टुकड़ा काट काट
सबको प्यार से बांटा गया,
दिख रहा था सबमें नाता नया,
बड़े ही चाव से सब केक खा रहे थे,
खाने का अभिनय कर मुंह बजा रहे थे,
सबसे मिलने के लिए बर्थडे गर्ल ने
अपनी सुविधानुसार बना लिए शिफ्ट,
सारे बच्चे अपनी क्षमतानुसार
उन्हें थमा रहे थे फूल पत्ते से बना गिफ्ट,
इस तरह से बच्चों का आज दिन बन गया,
हुआ छुट्टी का सदुपयोग और
मिला उन्हें अनुभव नया।
— राजेन्द्र लाहिरी