हाइकु
उगता सूर्य
मिटता जग तम
हो उजियारा
कच्ची कलियां
फूल बनने को हैं
फैलेगी खुश्बू
भोर हुई है
चिड़ियां चहकीं हैं
शुभ संदेश
ओस की बूंदें
सरसों के पत्तों के
ऊपर देखो
कैसे चमकीं
मोती सी बनकर
ओस की बूंदें
यह वक्त तो
बड़े-बड़े जख्म भी
भर देता है
सारे गम भी
भुला देता है यह
बेदर्दी वक्त
वक्त का मारा
रोता है हर वक्त
वक्त सताये
वक्त दिखाये
जन्नत का महल
वक्त दे सुख
यह वक्त तो
बड़ा बलवान है
बेरहम भी
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा