नई राह मिली
टूट गया स्वप्न,
नींद जैसे खुली
अब नया करने की नई राह मिली,
यह नया दौर है नये संकल्पों का तभी तो नई राह मिली।
बीत गया जो बीता साल,
आने वाले सब दिन हों खुशहाल
मंगलमय हो यह नया साल,
लिए संकल्पों का साथ
तभी तो नई राह मिली।
हम सभी की यही सार्थक पहल हो,
भूखा ना कोई सोए,
न दवा के अभाव में कोई रोए
मानव से मानव का रिश्ता अब जोड़ें,
मैत्री भाव जगत के कल्याण के लिए रास्ता मिला,
तभी तो यह नई राह मिली।
पथ-पथ पर काँटों की चुभन को सहते-सहते,
नयी रोशनी के अभिनंदन हेतु
हम नये वर्ष में नये विचारों का सृजन करें,
वैचारिकता के वंदन से नये शब्द गढ़ें
इन्हीं से हमें नई राह मिली।
नयी भोर में, नये दौर में,
सब नया ही हो
नये-नये साल का आगाज भी अलबेला हो।
अब अंधकार नहीं रहे जहान में,
क्योंकि हमें तो नयी रोशनी के साथ नई राह मिली॥
— हरिहर सिंह