कविता

मृत्यु पीड़ा

मृत्यु पीड़ा का वर्णन करना नामुमकिन है,
क्योंकि अपनों को खोने की पीड़ा
हम सब मिलकर शोक जताकर
एक दूसरे को ढाँढस बँधाकर सह लेते हैं,
यही नियम और प्रकृति का विधान है
आया है सो जायेगा
यही सोच हमें ढाँढ़स बँधाती है,
किसी अपने की मृत्यु के बाद
जीने की राह दिखाती है।
मगर मृत्यु पीड़ा का अहसास
मृत्यु की ओर बढ़ रहा जीव ही वास्तव में कर पाता है,
मगर उसकी पीड़ा/अहसास का अनुभव बाँटने के लिए
हमारे बीच वो कभी नहीं रह पाता है।
मृत्यु पीड़ा का सटीक चित्रण, महज परिकल्पना है,
महज छलावा और कल्पना है
मृत्यु पीड़ा का बखान कोई नहीं कर सकता,
जो वास्तव में झेलता है मृत्यु पीड़ा
वो बखान करने के लिए
इस मृत्यु लोक में भला कहाँ रहता हैं?

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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