दोहे – तम्बाकू
1.
तम्बाकू मत खाइए, होती हानि अपार।
रहे हृदय आनंद नित,होती प्रेम बहार॥
2.
तम्बाकू खाना बुरा, रहिए जरा सचेत।
बिगड़े तन मन की दशा, क्षति का यही निकेत॥
3.
तम्बाकू से नाश हो, बहुत बुरा यह रोग।
जब घेरेंगे रोग तो, देंगे साथ न लोग॥
— लीला तिवानी