मुक्तक/दोहा

दोहे – तम्बाकू

1.
तम्बाकू मत खाइए, होती हानि अपार।
रहे हृदय आनंद नित,होती प्रेम बहार॥
2.
तम्बाकू खाना बुरा, रहिए जरा सचेत।
बिगड़े तन मन की दशा, क्षति का यही निकेत॥
3.
तम्बाकू से नाश हो, बहुत बुरा यह रोग।
जब घेरेंगे रोग तो, देंगे साथ न लोग॥

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244