विह्स्की विला – भाग 4
ज्वाइस का इंतज़ार मैने तमाम रात किया पर वो क्या उसकी हवा तक मेरे कमरे के आस-पास नही गुज़री।
अगली सुबह जब मै ज्वाइस की एक झलक पाने के लिए अपने क़्वार्टर से बंगले के भीतर गया तो वहां से कोई शख्स तेजी से बाहर जा रहा था। वो इस वक़्त अपनी चाल से काफी घबराया हुआ लगा, उसने अपने मुंह को एक भारी कपडे से ढका हुआ था और उसके जिस्म में मौजूद कपडे काफी बेतरतीब हो रहे थे। उसकी इस हालत की वजह से मैं उसे पहचानने में नाकाम रहा था अगरचे मुझे एक बार ये जरूर लगा मैने उसे पहले भी देखा हुआ है, मैं उसे जानता हूँ।
‘ज्वाइस मैं कब से अपने कमरे में तुम्हारा इंतज़ार कर रह हूँ और ये शख्स कौन था ?’ ज्वाइस जो कि इत्मीनान से सोफे पे बैठी हुई थी मेरी बैचेनी देखकर मुस्कारते हुए कुछ कहना ही चाहती थी कि वहां पर पर चाय और टोस्ट की ट्रे लिए रसोई सँभालने वाले नौकरानी सईदा आ गई।
ज्वाइस ने वापस चेहरे पर संजीदगी की रिदा ओड ली। नौकरनी वहीँ जमीन में बैठकर ज्वाइस के लिए केतली से कप में चाय उड़ेलने लगी। एक नज़र सईदा को देखकर कर उससे चाय लेते हुए वो बोली ‘गालव इंस्पेक्टर साहब का फोन आया था।’
‘अच्छा क्या बोल रहा था वो इन्स्पेक्टर ?’ अपनी जगह से बढ़कर थोड़ा और ज्वाइस नजदीक आते हुए मैने पूछा।
मेरी बात सुनके ज्वाइस ने पहले चाय का घूंट भरा फिर वो बोली ‘उन्हें दो लोगों पर शक है मॉम के मर्डर में।’
सईदा जो वहां से वापस किचन की ओर जा रही थी ज्वाइस की बात सुनके वहां रुक गई।
‘किन पर शक है इन्स्पेक्टर को ?’ पूछते वक़्त मेरी जुबान थोड़ी लरज़ी थी। जिससे ज्वाइस के ऊपर तो कोई प्रतक्रिया दिखाई नहीं दी लेकिन वो नौकरानी सईदा ने जरूर मेरी लरज़ती आवाज़ को महसूस किया और मुझे अजीब सी नज़रों से देखा।
ज्वाइस ने एक घूंट चाय का भर कर कप मेज पर रखते हुए कहा ‘इन्स्पेक्टर नवेद खान के शक के दायरे में पहले शख्स तुम हो गालव और दूसरा मेरी मॉम का शौहर मतलब मेरा सो काल्ड अब्बा।’
‘इन्स्पेक्टर नवेद की घाघ नज़रों के दायरें में मैं पहला शख्स था जिस पर उसे समरीन मैडम के लज्ज्ती जिस्म को खून से तर बतर करने का शक था’ ये जानकर मेरी टांगों ने बिना किसी वाद्ययंत्र के बजे ही कत्थक और भरतनाट्यम करना चालू कर दिया।
मेरा शरीर कुछ लम्हों में ही किसी डाल से टूटे हुए पत्ते की तरह बेसहारा होकर ज़मीदोज़ होने के लिए काँप रहा था। मुझे लगा अगर में फ़ौरन जाकर चारपाई पर ढेर न हो गया तो अभी का अभी हमेशा के लिए ढेर हो जाऊंगा।
जब में अपनी कीर्तन करती टांगों के साथ अपने कमरे की तरफ चारपाई का सहारा ढूंढने जा रहा था तो पीछे से मुझे ज्वाइस की गंभीरता का लबादा ओढे आवाज सुनाई पड़ी ‘सईदा जरा दो मिनट पास आ न, मुझे तुझसे कुछ मशवरा करना है।’
चारपाई पर औंधे मुंह गिरते मेरे दिल को ये ख्याल किसी हथोड़े की तरह ठोंक रहा था – अगर ज्वाइस सईदा से ये मशवरा कर रही होगी कि मुझ में और समरीन मैडम के शौहर में से कौन उसकी मॉम का कत्ल कर सकता है और सईदा का शक मुझ पर हुआ तो…
सोच कर मेरी बंद आँखों के सामने इन्स्पेक्टर नवेद का खुरदरा चेहरा लहराया और जिस्म के रोंय खड़े हो गए।
मैं चारपाई पर न जाने कितनी देर तक चिंताजनक हालत में हालात के बारे में सोचता हुआ उसी कंडीशन में लेटा रहा था।
और फिर वो घडी आयी जब मेरे शरीर को उसके लम्स हाथ का नसीब हुआ और मेरी हालत कुछ सुधरी। मैने महसूस किया वो मेरे बगल में चारपाई पर बैठ गई और अपनी नरम उँगलियों से मेरे बाल तरतीब करने लगी।
हालाँकि उसके आमद और मुहब्बत भरी छुवन ने मेरे दिल और जिस्म दोनों को बेहद तसल्ली बक्शी फिर भी उसी तरह ओन्धें मुंह ही बिस्तर से चिपका रहा। कुछ देर तक मेरे सर, गर्दन और पीठ को सहलाने के बाद उसने बेहद कोमल स्वर में कहा ‘गालव सईदा को मॉम के शौहर पर शक है और उसके मुताबिक घर के सभी नौकर – नौकरानी भी उसकी राय से इत्तफ़ाक़ रखतें हैं।