हिम्मत
हमेशा रोशनी ने ही अंधेरे के घमंड को, दम-खम आदि को सही से तोङा है। हमारे शरीर से भी ज्यादा ताकतवर हमारा मन का बेलगाम घोङा होता है। अतः हमारे द्वारा जरूरी है कि अभय की चेतना का विकास डर से मुक्ति के लिए हो क्योंकि साहस के चाबुक ने ही तो हमको किसी भी तरह के भय से लड़कर भागने की हिम्मत दी है ।वह कहते है कि हिम्मत से आदमी बड़े से बड़े संकट का सामना कर उससे निकल जाता है । हमको भी क्या डर लगता है? हम डरते कब है? हम जब यह कल्पना करने लगते है कि ऐसा करेंगे तो क्या होगा! वैसा करेंगे तो क्या होगा । हम बस ! यही सोच सोचकर अपने दिमाग में डर को हावी कर देते है। हमारे चाहे कैसी भी परिस्थियी आये हमको डरना नहीं है वह डर का मुकाबला करना है क्योंकि डर के आगे जीत है। हमारे द्वारा सागर के किनारे खड़े होकर लहरों को निहारना एक बात है और समंदर के भीतर उतरकर लहरों के साथ खेलना अलग बात है । अतः जाहिर है कि जो खतरे उठाकर समंदर में उतरते हैं वही मोती पाते हैं। वह जो किनारों पर खड़े-खड़े लहरों को निहारते रहते हैं, उनके हाथ कंकड़-पत्थर ही आते हैं।यह कुदरत का नियम है कि जो जितने खतरे उठाएगा वह उतना ही बड़ा पुरस्कार पाने का अवसर पाएगा। कहते है कि वो जीवन ही क्या जिसमें उतार-चढ़ाव ना आये।वह जब प्रतिकूल समय का हम सामना करेंग़े और उस दर्द को सहने की हिम्मत जुटायेंगे तब ही अनुकूल समय की ख़ुशियाँ व उसका अनुभव सही से महसूस कर पायेंगे। हमारे इस जीवन में हर वस्तु परिवर्तन शील है।पानी वो ही होता है पर फ्रिज़र में रख देंगे तो बर्फ़ बन जाती है और फ़्रीज़ के बाहर रख देंगे तो वापिस पानी। भगवान ने मनुष्य को वो समझ दी है कि जब समय विपरीत हो तो थोड़ा संयम धारण करे।हम मन में यही चिंतन करे कि जब एक दिन उदय होने से लेकर वापिस दूसरे दिन उदय तक कितने पहर देखता है ठीक वैसे ही जीवन में बदलाव आये तो हमारा यही चिंतन रहे कि वह भी स्थायी नहीं रहेगा।हर अमावस्य की घोर अंधेरी रात आयी है तो कुछ दिनो बाद पूनम की चाँदनी भी दिखायी देगी। यह कहा जाता है कि डर के आगे जीत है। वह खुद के डर पर काबु पाने वाला व्यक्ति जीवन के हर लक्ष्य को आसानी सें हल कर लेता है। वही डरने वाला व्यक्ति जीवन भर अपनी क्षमताओं को जान नही पाता है। हमको अपने जीवन की किसी भी हार को अगर दूर करना है तो अपने भीतर के साहस को जगाना होगा। हमारा आत्मविश्वास बढ़ाना होगा । वह खुद के डर पर काबू पाने वाला व्यक्ति जीवन के हर लक्ष्य को आसानी से जीत सकता है। हार व जीत मनुष्य की मानसिकता है। हमारे में कितनी ही सबलता है, मगर मानसिक रूप से हम कमजोर है तो उस पराजय व हार को कोई नहीं बचा सकता है । इतिहास गवाह है कि जो डर से पार निकल गया उसने विश्व में कारनामे किये है व इतिहास रचा है। वह भय से बाहर निकलने के लिए दिल व दिमाग में दृढसंकल्प पैदा करे व सकारात्मक सोच रखे। हम अपने आप पर अटुट विश्वास पैदा करे। वह जो भय मुक्त हो गया उसे कोई नहीं हरा सकता है क्योंकि मुसीबतों से घबराने से कोई भी बाधा पार नही होती है । वह कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती है । हम होगे कामयाब एक दिन यह हौसला सदैव रखना भी डर के आगे जीत है क्योंकि जो हिम्मत दिखाता है वही इसकी सही से कीमत पाता है , इसीलिए तो साहस और शौर्य को विजेताओं का आभूषण कहा जाता है। वह इन आभूषणों को धारण करने के लिए भय को जीतना पड़ता है।
— प्रदीप छाजेड़