लघुकथा

उजाले लौट आए

डॉ. अनुज शाम को अपने दोस्त जगवीर के साथ गाँव घूमने निकले थे। चलते-चलते उन्हें गाँव के पश्चिमी छोर पर, टूटी-फूटी छत वाली एक पुरानी हवेली दिखाई दी।
“जगवीर, यह हवेली किसकी है?” डॉ. अनुज ने पूछा।
“यह हवेली रमन सिंह की है,” जगवीर ने बताया, “रमन सिंह अपने बेटे की दुर्घटना में आँखों की रोशनी चले जाने के बाद यह हवेली छोड़कर चले गए थे। तभी से यह हवेली अँधेरे में डूबी हुई है। लोग इसे ‘अँधेरी हवेली’ कहते हैं, क्योंकि वहाँ पिछले कई सालों से कोई नहीं रहता और शाम होते ही वह घोर अँधेरे में डूब जाती थी।”
“जगवीर, मैं एक बार रमन सिंह से मिलकर उनके बेटे की आँखों की जाँच करना चाहता हूँ,” डॉ. अनुज ने कहा।
“ठीक है डॉ. अनुज, मैं आपको शहर ले चलूँगा,” जगवीर बोला।
“ठीक है, कल इतवार है। कल का दिन तय रहा,” डॉ. अनुज ने कहा।
अगले दिन सुबह ही डॉ. अनुज और जगवीर शहर जाने के लिए तैयार होकर अपनी गाड़ी से निकल पड़े।
रमन सिंह के पास पहुँचकर डॉ. अनुज ने अपना परिचय दिया, “मैं एक नेत्र विशेषज्ञ हूँ। मैं आपके बेटे की आँखों की जाँच करना चाहता हूँ, यदि आपकी आज्ञा हो तो।”
पहले तो रमन सिंह तैयार नहीं हुए, फिर कुछ सोचकर तैयार हो गए। उन्होंने कहा, “डॉक्टर, आप जाँच कर सकते हैं।”
डॉ. अनुज ने आँखों की जाँच करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि ऑपरेशन से दीपक की आँखों की रोशनी वापस आ सकती है, लेकिन ऑपरेशन थोड़ा जटिल है।
“डॉक्टर, इस ऑपरेशन में बहुत पैसा खर्च होगा। मेरे पास इतना पैसा नहीं है,” रमन सिंह उदास हो गए।
“पैसे की आप चिंता मत करें। गाँव वालों से मेरी बात हो गई है, वे सब हमारी मदद करने के लिए तैयार हैं,” डॉ. अनुज ने उन्हें आश्वस्त किया।
रमन सिंह अपने बेटे के भविष्य पर छाए अँधेरे को दूर करने के लिए ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए। डॉ. अनुज और जगवीर, रमन सिंह को ऑपरेशन से पहले दीपक की आँखों की जाँच करने के लिए अपने साथ ही ले आए। डॉ. अनुज ने गाँव आते ही अपने छोटे से अस्पताल में ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी।
ऑपरेशन का दिन भी आ गया। आज हवेली में सुबह से ही सभी ईश्वर से प्रार्थना करने लगे। डॉ. अनुज ऑपरेशन करके जैसे ही बाहर आए, उनके चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। उन्होंने घोषणा की, “ऑपरेशन सफल रहा!”
रमन सिंह और रमा देवी की आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े। कुछ समय के बाद जब आँखों की पट्टी खुली, दीपक को पहले धुँधला और फिर स्पष्ट दिखाई देने लगा। उसके जीवन में छाए अँधेरे छँट गए, उसकी जगह रोशनी ने ले ली। हवेली में रोशनी फिर से लौट आई। अब लोग अँधेरी हवेली को “रोशन हवेली” कहने लगे है।

— अर्विना गहलोत

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु

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