कविता

जगन्नाथ जी

जगन्नाथ जी का रथ खींचें।
भक्त खुशी से आँखे खींचें।
बड़भागी अवसर जो पाया।
जनमानस में हर्ष समाया।।

जगन्नाथ जी नजर घुमाओ।
नाहक इतना न शरमाओ।
भक्त आपके द्वार खड़े हैं।
सब बच्चे हैं नहीं बड़े हैं।।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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