कविता

सावन केंद्रित पाँच साहित्यिक रचनाएँ

1 “सावन की पहली बूँद”

बादल की पहली दस्तक, मन के आँगन आई,
भीग गया हर कोना, हर साँस मुस्काई।
पीपल की टहनी बोली, झूले की है बारी,
छत की बूँदों ने फिर, गाई प्रेम पिचकारी।

मिट्टी ने भी मुँह खोला, सौंधी-सौंधी भाषा,
मन में उठे भावों की, भीनी-भीनी आशा।
चुनरी उड़ती दिशा-दिशा, लहराए सावन,
पलकों पर ठहरी जैसे, बरखा में जीवन।

बिरहा के गीतों में, घुलता राग अधूरा,
झोपड़ी की दीवारें भी, रोतीं तनहा-सा सूरत।
बच्चों की हँसी बिखरे, कीचड़ के संग संग,
भीग रहा हर रिश्ता, जैसे कोई उमंग।

सावन की पहली बूँदें, दिल तक उतरें आज,
हर किसी की आँखों में, बसी कोई आवाज़।
वो जो गया है दूर कहीं, उसे लिखूं संदेस,
“बरखा आई फिर वही, लेकर तेरा भेस।”

  1. “झूले वाले दिन आए”

झूले वाले दिन आए, पायल की छनकार,
घूँघट में लजाए सावन, रंग भरे हज़ार।
काजल भीगे नैना, मेंहदी रचती हाथ,
सखियाँ गाएं गीत वो, जिसकी हो तलाश।

पलाश और आम की, डालें हुईं जवाँ,
झूले संग लहराए, मन की हर दुआ।
बरखा की चूनर ओढ़े, धरती की ये माँ,
हरियाली की चिट्ठियाँ, लेकर आई हवा।

पथिक रुके हैं थमकर, सुनने बादल गीत,
पगली नदी भी झूमें, बाँधें जल की रीत।
बंसी फिर से बोले, कान्हा पुकारे राधा,
मन मंदिर में बजे हैं, प्रेम भरे प्रभादा।

झूले वाले दिन आए, हर मन रंग जाए,
चुनरी सी उड़ती ख़ुशियाँ, कोई रोक न पाए।
मौसम का ये तावीज़, बाँधे रिश्तों को पास,
सावन जैसे हर जन को, दे प्रेम का प्रकाश।

  1. “अब के सावन में”

अब के सावन में
बूँदें सिर्फ़ पानी नहीं रहीं,
वो सवाल बनकर गिरती हैं
छतों, छायाओं और चेतना पर।

अब के सावन में
न कोई प्रेम पत्र भीगा,
न कोई हथेली मेंहदी से लिपटी,
बस मोबाइल स्क्रीन पर टपकी बारिश की रील।

अब के सावन में
कविताएं भीगने से डरती हैं,
काग़ज़ गल जाए तो?
या भाव उड़ जाए तो?

पर फिर भी,
जब एक बूँद चुपचाप
मेरी खिड़की पर टिकती है,
मैं जानती हूँ—
भीतर का सावन अब भी जीवित है।

  1. “सावन की सिसकी”

भीग गया मन फिर चला, तेरी यादों की ओर,
सावन ने फिर छेड़ दिया, वो भीगा सा शोर।
टपक रही हर साँझ में, कुछ अधूरी बात,
छत पर बैठी पाती पढ़े, भीगी-भीगी रात।

झूला झूले याद में, पीपल की वह छाँव,
तेरे संग सावन जिया, अब लगता बेजान।
बूँद-बूँद में नाम तेरा, भीगा पत्र पुराना,
तेरे बिना हर मौसम में, खालीपन का गाना।

चाय की प्याली अकेली, खिड़की की तन्हाई,
भीतर गूंजे सावन, बाहर बारिश आई।
भेज रहा हूँ हवा से, फिर इक संदेश,
“तेरा इंतज़ार अब भी है, सावन का ये वेश।”

  1. “सावन बोल पड़ा”

सावन बोल पड़ा —
“मैं वो साज़ हूँ, जो मन को छूता है।
मैं वो गीत हूँ, जो बिन बोले गूंजता है।
मैं भीगते बालकों की हँसी हूँ,
और चुपचाप रोते खेतों की तृप्ति भी।”

सावन फिर बोला —
“मुझमें पनपता है प्रेम,
और मिटती है दूरी।
मैं झोपड़ी का गीत हूँ,
और महलों की चुप्पी भी।”

सावन बोला —
“मेरे संग बहती हैं स्मृतियाँ,
और उगती हैं उम्मीदें।
मैं आज भी वही हूँ —
बस तुमने देखना छोड़ दिया है मुझे।”

— डॉ. सत्यवान सौरभ

डॉ. सत्यवान सौरभ

✍ सत्यवान सौरभ, जन्म वर्ष- 1989 सम्प्रति: वेटरनरी इंस्पेक्टर, हरियाणा सरकार ईमेल: satywanverma333@gmail.com सम्पर्क: परी वाटिका, कौशल्या भवन , बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148,01255281381 *अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओँ में समान्तर लेखन....जन्म वर्ष- 1989 प्रकाशित पुस्तकें: यादें 2005 काव्य संग्रह ( मात्र 16 साल की उम्र में कक्षा 11th में पढ़ते हुए लिखा ), तितली है खामोश दोहा संग्रह प्रकाशनाधीन प्रकाशन- देश-विदेश की एक हज़ार से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशन ! प्रसारण: आकाशवाणी हिसार, रोहतक एवं कुरुक्षेत्र से , दूरदर्शन हिसार, चंडीगढ़ एवं जनता टीवी हरियाणा से समय-समय पर संपादन: प्रयास पाक्षिक सम्मान/ अवार्ड: 1 सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन पुरस्कार हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी 2004 2 हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड काव्य प्रतियोगिता प्रोत्साहन पुरस्कार 2005 3 अखिल भारतीय प्रजापति सभा पुरस्कार नागौर राजस्थान 2006 4 प्रेरणा पुरस्कार हिसार हरियाणा 2006 5 साहित्य साधक इलाहाबाद उत्तर प्रदेश 2007 6 राष्ट्र भाषा रत्न कप्तानगंज उत्तरप्रदेश 2008 7 अखिल भारतीय साहित्य परिषद पुरस्कार भिवानी हरियाणा 2015 8 आईपीएस मनुमुक्त मानव पुरस्कार 2019 9 इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड रिव्यु में शोध आलेख प्रकाशित, डॉ कुसुम जैन ने सौरभ के लिखे ग्राम्य संस्कृति के आलेखों को बनाया आधार 2020 10 पिछले 20 सालों से सामाजिक कार्यों और जागरूकता से जुडी कई संस्थाओं और संगठनों में अलग-अलग पदों पर सेवा रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 9466526148 (वार्ता) (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) 333,Pari Vatika, Kaushalya Bhawan, Barwa, Hisar-Bhiwani (Haryana)-127045 Contact- 9466526148, 01255281381 facebook - https://www.facebook.com/saty.verma333 twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh

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