कुण्डली/छंद

पर्यूषण पर्व पर

निज कल्याण की भावना यदि मन में,
मानव जीवन क्षमावान होना चाहिए।
क्षमा को सर्व धर्मों का सार कहा गया,
आत्म चिंतन आधार क्षमा होना चाहिए।
क्षमा ही सम्यग्दर्शन, ज्ञान चरित्र रूप है,
आत्मा के भावरूप मनुष्य होना चाहिए।
आत्मा अजर अमर, गीता में बताया गया,
धर्म की स्थापना हित, कर्म होना चाहिए।

— डॉ अ. कीर्तिवर्द्धन