गीत/नवगीत

बहुत कठिन है सरल होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

स्वीकार गरल का गरल होना।

असत्य, कपट, षड्यंत्रों के बीच,

ईमानदारी पर गर्व होना।

षड्यंत्रकारी का गरम होना।

बहुत कठिन है सरल होना।।

स्वीकार गलत का गलत होना।

मिलावट के युग में खरा सोना।

दिखावे की इस चमक-दमक में,

रोने को पाना, एक शांत कोना।

सत्य विचार का नरम होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

माता-पिता के साथ होना।

शादी हो अलग, अलग गोना।

अहम, पैसा और शोहरत से बच,

बिस्तर पर जाके मरद होना।

ज्ञान जहाँ हो, भरम होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

शादी के बाद में भी घर होना।

केमीकल के बिना बीज बोना।

पिज्जा, बर्गर, चाउमीन छोड़,

देसी खाने की अरज होना।

सही करम में शरम होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

मंदिर में जाकर मुक्त होना।

कर्म के बिना भयमुक्त होना।

धन, पद, यश, संबन्ध मोह में,

मानव मन प्रेम युक्त होना।

विरोधियों का तरल होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

प्रेमी-प्रेमिका की जात होना।

परिवारीजनों में बात होना।

सोशल मीडिया के दुष्चक्र में,

आमने-सामने गात होना।

पति-पत्नी का मित्र होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

प्राकृतिक रूप से मौत होना।

मधुरता में कोई सौत होना।

काॅन्वेंट के इस शिष्ट युग में,

सरकारी कर्मी का धौत होना।

रसोई में अब खरल होना।

बहुत कठिन है सरल होना।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)