कविता

मिल-जुलकर त्योहार मनाएँ..

मिल-जुलकर त्योहार मनाएँ।

हर्षित मानस मंगल गाएँ।

सुर लय सरगम ताल सुरीला।

हिय झंकृत खुशियों का मेला।।

आओ चहुँ दिशि दीप जलाएँ।

प्रेम धार रिम-झिम बरसाएँ।

सेवा संयम मानवता हो।

त्याग क्षमा का संजीवन हो।।

पाप-पुण्य का लेखा होगा।

निज कर्मों का खेला होगा।

निर्मल मन आनंद खिलेगा।

मोहक सुंदर रूप सजेगा।।

जीवन पावन बहता झरना।

सुरभित फूलों सा नित खिलना।

हँसी खुशी हो आत्मा गहना।

मानव जीवन सार्थक करना।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८