गजल
तुम मुझे भूल भी जाओ तो बात बन जाए
याद भी मुझको ना आओ तो बात बन जाए
पिला रही है जो सब को नजर के प्यालो से
उसे भी जाम पिलाओ तो बात बन जाए
कमी निकालता फिरता है जो जमाने की
आईना उसको दिखाओ तो बात बन जाए
भुला चुका है जिसे दिल यह जमाने पहले
फिर से वह गीत सुनाओ तो बात बन जाए
कितना मायूस है यह दिल उदास मौसम है
गजल का साज उठाओ तो बात बन जाये
सफ़र तवील है पुर खार भी बियाबा भी
यहां भी साथ निभाओ तो बात बन जाए
न कोई ले के गया कुछ न ले के जाएगा
कफन में जेब लगाओ तो बात बन जाए
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव
