मुक्तक
मेरी खामोशी को कमजोरी समझ बैठे,
चल गई उनकी सीनाजोरी समझ बैठे।
काल भैरव का पुजारी शांत क्या हुआ,
बहरूपिये खुद को अघोरी समझ बैठे।
— डॉ. विकास शर्मा
मेरी खामोशी को कमजोरी समझ बैठे,
चल गई उनकी सीनाजोरी समझ बैठे।
काल भैरव का पुजारी शांत क्या हुआ,
बहरूपिये खुद को अघोरी समझ बैठे।
— डॉ. विकास शर्मा