मेरा सफरनामा भाग 2
जिंदगी के हर एक पहलू जब सजाए,
वाह-वाही का तांता हर ओर से पाए।।
ऐसा नहीं हुआ हर बार संग मेरे यारों,
बहुत पाठक कभी हंसाए कभी रुलाए।।
वर्णों शब्दों की आग में खुद को तपाए,
तपा-तपा के कलम को बहुत सुलगाए।।
सुलगी जब कलम बेइंतहा तब जाकर,
शब्दों में लिख अपनी हर व्यथा सुनाए।।
यूंही सबको पसंद ना करें पाठक पढ़ना,
पढ़ लेखक को ध्यान से दिल से लगाए।।
जिनके शब्द संजिदा, हकीकत से भरे हुए,
आग से उबलते पाठक को बहुत ही भाए।।
कहती वीना यूंही नहीं बनी वीना से तन्वी
आठ वर्ष कड़ी मेहनत से डॉ उपाधि पाए।।
— डॉ वीना तन्वी
